मंगलवार, 4 दिसंबर 2012
शनिवार, 24 नवंबर 2012
बुधवार, 21 नवंबर 2012
मंगलवार, 20 नवंबर 2012
शनिवार, 3 नवंबर 2012
गुलाबी धूप में सफ़ेद गुलाब
आस्था की इस डोर से बन्धा है मेरा आशियाना,वरना बेरहम तूफ़ां ने तो कई बार झकझोरा है इसे.
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सुबह की गुलाबी धूप,
दिल पर दस्तक दे कर,
किसी की याद दिलाती है,
जैसे अंगुलियों की छुअन,
बदन को एहसास दिलाती है,
किसी अपनेपन का-
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आसमां और धरती के करीब, दिल की डोर बिछ गई,
ख्वाबों के पंखों पर उड़ने लगी है, विश्वास की पतंग.
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जब दिल खोल कर बरसा आसमां,
तो रेत के टीलों पर हरियाली मुस्कुरा उठी
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कांच के महलों से टूटे हैं, ना जाने कितने ही रिश्ते,
मग़र पत्थरों के घर, किसी का दिल तोड़ते नहीं. ..
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दिल जीत लिया तुमने, तो जिस्म में बचा ही क्या है,
दर्द लेकर लगा यूं, जैसे खुशी का खिलौना मिल गया..
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तूं छोड़कर चला गया रुसवा हो कर तो क्या,
साया और यादों की धूप साथ चलते है अब भी.
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एक खूबसूरत लम्हा ही काफी है,
अन्धेरे महल की लम्बी जिन्दगी से..
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आंख से बहे अश्क , ग़म जताते है या खुशी बरसाते है.
सम्भल के चलना,अक्सर जिन्दगी के कदम डगमगाते है.
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शुक्राना अदा किया है, जिन्दगी के हरेक अहसां का,
हमने तो बस, अपनी जिन्दगी बना लिया था तुम्हें.
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रंगों से भरा था इस दिल का कैनवस ,
हर रंग में बस ,तेरी तस्वीर ही नज़र आई.
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बुधवार, 19 सितंबर 2012
ग़ज़ल
आवाज के दम पे है जिन्दगी
साज़ का राज़ है ये जिन्दगी
आंख उठा के देखो हर तरफ़
रौनक-ए-जहां है ये जिन्दगी
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कांच के महलों से टूटे हैं, ना जाने कितने ही रिश्ते,
मग़र पत्थरों के घर, किसी का दिल तोड़ते नहीं.
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मुश्किलें देख कर, जिन्दगी से किनारा कर लिया.
किनारों से रुसवाई और खुद को बेसहारा कर लिया.
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मोती से, आंसू गिरे जब आंचल में,
जैसे गोद में आ गया, दिल का टुकड़ा.
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इस अदा से जिन्दगी की शाम ढल गई.
जैसे मयख़ाने से कोई बारात निकल गई.
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रविवार, 16 सितंबर 2012
मंगलवार, 4 सितंबर 2012
बुधवार, 29 अगस्त 2012
गुरुवार, 23 अगस्त 2012
खुशबू
खुशबू बन,हर गली -मोड़ को महकाना चाहता हूं..दुश्मनों के हर शहर में,बस दोस्ताना चाहता हूं.
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तकदीर की आंख से, दिल का,ज़ख़्म देखा है.
दोस्ती के राग़ से,टूटा हुआ तरन्नुम
देखा है
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जिन्दगी तो, हकीकत से ही चलती है।
यूं कितनी मुरादें, दिल में मचलती हैं
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नाराज़ होकर चली गई किस्मत,मेरी हकीकत से,
सपनों का बोझ उठ कर कहां तक चलेगी ये जिन्दगी
बुधवार, 22 अगस्त 2012
वो सवाल कहां ?
गले में लिपटकर, हाथों को महकाए वो रूमाल कहां.
राज़-ए-उल्फ़त दिल में, वाक़िफ़ हो जाए सारा जहां,
नसीबों की स्याही का रंग जो बदले, वो कमाल कहां.
हर तरफ़ सजते हैं ईमां के साज़-ओ-ताज़ मग़र,
हकीकत की बस्ती में ले जाए, अब वो ख़्वाब कहां.
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शुक्रवार, 27 जुलाई 2012
शनिवार, 21 जुलाई 2012
शुक्रवार, 4 मई 2012
तनहा हुए कभी
दिल के रस्ते दिल की मंजिल को पा लेना कभी.
सर रख के सीने पे जुल्फ़ों को छितरा लेना कभी.
तनहा हुए कभी तो दिल में तस्वीर टांग ली उनकी,
तस्सवुरे जानां समझ दीवारों से बातें करना कभी.
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शनिवार, 21 अप्रैल 2012
उनका बिछुड़ना-मिलना
उनका बिछुड़ के फिर , मिलना मुक़द्दर की बात है.
सूख़ी हथेली पे फूलों का खिलना मुक़द्दर की बात है.
पत्थरों को तोड़ कर तो बहती है पानी की धाराएं भी,
पत्थर दिल आंख से आंसूं का बहना मुक़द्दर की बात है.
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मंगलवार, 6 मार्च 2012
सोमवार, 5 मार्च 2012
सोमवार, 27 फ़रवरी 2012
रविवार, 5 फ़रवरी 2012
पलक झपक...
मुसाफ़िर की मजिल कहां है.परिन्दों का कारवां जहां है.
तोड़ देते हैं मुहब्बत के धागे,
मशीनों की हकूमत जहां...
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पलक ने झपक कर, दिल को सलाम किया.
शाम ने बाहें फैलाकर, सूरज को आराम दिया.
मैं मोम सा,पत्थरों के रास्तों पर चला उम्रभर,
जिन्दगी ने मुझे बस, कांटों का सामान दिया.
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पुकार सुन के वो आ गया, अपनी मंजिल छोड़ कर.
यूं कभी रिश्ता नहीं बनता किसी का दिल तोड़ कर.
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शुक्रवार, 20 जनवरी 2012
ये जुनून किसका है
हर शख़्स के सिर पर चढा, ये जुनून किसका है.
जब, परेशानियों के आगोश में रहती है जिन्दगी,
फिर भला, इन महलों में बैठा ये सुकून किसका है.
शर्म भटकती है, इन्साफ़ की खातिर यहां-वहां,
बेह्या की तारीफ़ करे जो, वो कानून किसका है.
कहने को हजार मसीहा है, इस जहां में यारब,
मगर झोंपड़ी से निकला, ये मासूम किसका है.
सभी लेकर आए थे, मुहब्बत का पैग़ाम हाथों में,
इस महफ़िल में, ये आतिश-ए-मज़मून किसका
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