गले में लिपटकर, हाथों को महकाए वो रूमाल कहां.
राज़-ए-उल्फ़त दिल में, वाक़िफ़ हो जाए सारा जहां,
नसीबों की स्याही का रंग जो बदले, वो कमाल कहां.
हर तरफ़ सजते हैं ईमां के साज़-ओ-ताज़ मग़र,
हकीकत की बस्ती में ले जाए, अब वो ख़्वाब कहां.
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