प्रकृति का यह कैसा क्रूर नियम है कि, बड़ी मछली छोटी मछली का पोषण करने की बजाय उसे निगल जाती है। मेरा यह ब्लोग "कविता की महक" बड़ी मछली का शिकार होने वालों को समर्पित है।
शुक्रवार, 4 मई 2012
अधूरी मुलाक़ात
जिन्दगी के सफ़र में, वो साथ छोड़ गया. बीच मझधार में ही, मेरा हाथ छोड़ गया.
पहली बार मिले, तो मैंने हकीकत ब्यां की, तल्ख़ लफ़्ज़ों से,अधूरी मुलाकात छोड़ गया. *******************************
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