प्रकृति का यह कैसा क्रूर नियम है कि, बड़ी मछली छोटी मछली का पोषण करने की बजाय उसे निगल जाती है। मेरा यह ब्लोग "कविता की महक" बड़ी मछली का शिकार होने वालों को समर्पित है।
रविवार, 16 सितंबर 2012
रंग न्यारे
जिन्दगी के रंग है न्यारे. कभी जीते तो कभी हारे. आसमां को संवारा कभी, तो कांटे जमीं के बुहारे. *****************
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