प्रकृति का यह कैसा क्रूर नियम है कि, बड़ी मछली छोटी मछली का पोषण करने की बजाय उसे निगल जाती है। मेरा यह ब्लोग "कविता की महक" बड़ी मछली का शिकार होने वालों को समर्पित है।
सोमवार, 27 फ़रवरी 2012
तुम्हारी याद
तुम्हारी याद फिर क्यों आ जाती है. दिल के दरवाजे पर दस्तक दे जाती है.
बन्द किया जब भी,अपनी आंखों को मैने, ख़्वाब में भी तेरी तस्वीर नज़र आती है.
दरवाजों को बन्द किया कई मर्तबा मैने, फिर हवा बन सांसों में ही घुल जाती है.
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