प्रकृति का यह कैसा क्रूर नियम है कि, बड़ी मछली छोटी मछली का पोषण करने की बजाय उसे निगल जाती है। मेरा यह ब्लोग "कविता की महक" बड़ी मछली का शिकार होने वालों को समर्पित है।
मंगलवार, 20 नवंबर 2012
रंगीन समां
तुम्हारे साथ आ गया, रंगीन समां. इन आंखों को भा गया, रंगीन समां. चाहतों के दरिया में डूब तो गए मग़र, महफ़िल में आ गया, ग़मगीन समां. बदला है मिज़ाज़ दिल का, अक्सर, फ़िर कहां से आ गया,संगीन समां. ****************************
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