प्रकृति का यह कैसा क्रूर नियम है कि, बड़ी मछली छोटी मछली का पोषण करने की बजाय उसे निगल जाती है। मेरा यह ब्लोग "कविता की महक" बड़ी मछली का शिकार होने वालों को समर्पित है।
शनिवार, 24 नवंबर 2012
रोकना चाहा
अपने हाथों से वक्त को रोकना चाहा. करीब जाते मुसाफ़िर को टोकना चाहा. मेहनत से मिल जाती है मंजिल अक्सर, लाख मुश्किलों ने चाहे रस्ता रोकना चाहा. ************************
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