प्रकृति का यह कैसा क्रूर नियम है कि, बड़ी मछली छोटी मछली का पोषण करने की बजाय उसे निगल जाती है। मेरा यह ब्लोग "कविता की महक" बड़ी मछली का शिकार होने वालों को समर्पित है।
बुधवार, 21 नवंबर 2012
जिन्दगी के सफ़र में
जिन्दगी के सफ़र में, सब साथ छोड़ गए मेरा. जब आया भंवर तो, हाथ छोड़ गए मेरा. आंधी चली ख़िज़ां की तो, सज़बाग छोड़ गए मेरा. ********************
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