प्रकृति का यह कैसा क्रूर नियम है कि, बड़ी मछली छोटी मछली का पोषण करने की बजाय उसे निगल जाती है। मेरा यह ब्लोग "कविता की महक" बड़ी मछली का शिकार होने वालों को समर्पित है।
बुधवार, 12 मार्च 2014
ग़ज़ल
मौसम की तरहा बदले,उस पर भरोसा मत कीजिए. तैरना आता भी हो,गहराई पर भरोसा मत कीजिए. यूं तो मंजिले पाने के भी, रास्ते बहुत हैं यारब, मग़र अनजान रास्तों पर, भरोसा मत कीजिए. ***********************************
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