प्रकृति का यह कैसा क्रूर नियम है कि, बड़ी मछली छोटी मछली का पोषण करने की बजाय उसे निगल जाती है। मेरा यह ब्लोग "कविता की महक" बड़ी मछली का शिकार होने वालों को समर्पित है।
शुक्रवार, 18 जुलाई 2014
जिन्दगी बेमेल सी
जिन्दगी यूं बेमेल सी है कठपुत्ली का खेल सी है सफ़र कट रहा तन्हा सा रुक जाए तो जेल सी है चल रहा मुसाफ़िर सा कभी पटरी पे रेल सी है ************************
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