मेरे ख़त..
मेरे ख़त ने यूं उनको, बुलाया होले से.
राज़-ए-दिल हमने भी,छुपाया होले से.
बन्द पलकों भरे थे,ख़्वाबो के मोती ,
नींद ने भी आंखों ,को जगाया होले से.
पर्दानशी चाहिए,इस बेदर्द जमाने को,
जुल्फ़ों को चिल्मन बनाया ,बस होले से.
खूबसूरत सी जिन्दगी में चार चान्द हों,
इस लिए, वफ़ा का पाठ पढाया होले से..
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें