सोमवार, 14 नवंबर 2011

्रह गुज़र की तलाश में


रफ़्ता रफ़्ता कट गया सफ़र, हमसफ़र की तलाश में...
बैठे है वो अपने ही आशियां, में रहगुज़र की तलाश में..
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कदमों की आहट से यूं लगा कि मुराद-ए-मंजिल करीब है. 
इन्तज़ार के बाद एहसास हुआ हवा के झोंके ने दस्तक दी थी।
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लगता है जैसे अभी अभी नहाएं हैं ..
किसी पुराने किस्से को गुनगुनाएं हैं।


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