शनिवार, 10 दिसंबर 2011

कोशिश तो हो


जो नाराज हो कर जा रहा, उसे रोकने की कोशिश तो हो.
जो जबरन घुसने जा रहा, उसे रोकने की कोशिश तो हो.


हवा ग़र चल रही,नाइन्साफ़ी की हर तरफ इस दौर में,
बन के कोई ढाल,इस तलवार को रोकने की कोशिश तो हो. 


ये इन्सां दर दर भटक रहा, सेहत के दरख़्तों की ख़ातिर.
पेड़-पत्तों में जा रही भटकन को, रोकने की कोशिश तो हो.
***************************************

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें