रविवार, 25 दिसंबर 2011

तीन ग़ज़लें


जिन्दगी में जो मिला मुझे, वो "मेरे" सब का है.
जहां रोशन हुआ जिस चराग़ से, वो मेरे रब का है.


दामन फूलों से भर गया, खुशबू फैली है फ़िज़ां में,
कांटों की सेज़ मिली कबूल, तोहफ़ा मेरे रब का है.
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मुहब्बत के धागों में, कई रंग हैं.
कोई अपना रूठा, तो कोई संग है.


दिल में बसा लिया किसी को तो, 
कोई तनहा, उदास  और बेरंग है.
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जिन्दगी इक रंगीन किताब है, इसे दिल की नज़र  से देखो.
हर धड़कन में मोहब्बत आबाद है, इसे दिल की नज़र से देखो.


कारवां तो चलता है, कदम दर  कदम  मंजिल की तरफ़,
कितनी दूर है, मेरा हमसफ़र, इसे दिल की नज़र से देखो.
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