प्रकृति का यह कैसा क्रूर नियम है कि, बड़ी मछली छोटी मछली का पोषण करने की बजाय उसे निगल जाती है। मेरा यह ब्लोग "कविता की महक" बड़ी मछली का शिकार होने वालों को समर्पित है।
मंगलवार, 30 अप्रैल 2013
सूरज निकलने दो
बगिया के फूलों को खिलने दो. जमीं-आसमां को मिलने दो.
नफ़रतों के कपड़े उतार दीजिए, प्रेम के फटे कुर्ते को सिलने दो.
माना कि दिलों में अन्धेरा बहुत है,
किसी झोंपड़ी में सूरज निकलने दो. *********************
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