प्रकृति का यह कैसा क्रूर नियम है कि, बड़ी मछली छोटी मछली का पोषण करने की बजाय उसे निगल जाती है। मेरा यह ब्लोग "कविता की महक" बड़ी मछली का शिकार होने वालों को समर्पित है।
मंगलवार, 2 अप्रैल 2013
इन्तज़ार करना
चाहत का दीपक जला के रखना, कहा था, मेरा इन्तज़ार करना. नसीब में हो ना हो, दम भरना मग़र सांसों को अमर रखना. वादा "दिया" था तुमने भी, मेरे आने तलक, ना मरना. *************************
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