प्रकृति का यह कैसा क्रूर नियम है कि, बड़ी मछली छोटी मछली का पोषण करने की बजाय उसे निगल जाती है। मेरा यह ब्लोग "कविता की महक" बड़ी मछली का शिकार होने वालों को समर्पित है।
गुरुवार, 10 जनवरी 2013
सर्दी की रेल..
तिल का तेल हो गया फेल सर्दी इतनी रुक गई रेल जश्न का माहौल बच्चों का खेल टूटे कभी तो कभी हुआ मेल *************
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें