प्रकृति का यह कैसा क्रूर नियम है कि, बड़ी मछली छोटी मछली का पोषण करने की बजाय उसे निगल जाती है। मेरा यह ब्लोग "कविता की महक" बड़ी मछली का शिकार होने वालों को समर्पित है।
गुरुवार, 10 जनवरी 2013
रंग निराले
रबा तेरे, रंग है निराले. गिरे हम,तूं ही सम्भाले. तेरा है, खुला दरबार मग़र, इन्सां के दिल पे ताले.
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