बुधवार, 30 नवंबर 2011
शनिवार, 26 नवंबर 2011
नींद ने आंखों को जगाया होले से
मेरे ख़त ने यूं उनको, बुलाया होले से.राज़-ए-दिल हमने भी,छुपाया होले से.
बन्द पलकों में भरे थे,ख़्वाबो के मोती ,
नींद ने भी आंखों ,को जगाया होले से.
पर्दानशी चाहिए,इस बेदर्द जमाने को,
जुल्फ़ों को, चिल्मन बनाया होले से..
खूबसूरत सी जिन्दगी में चार चान्द हों,
इस लिए, वफ़ा का पाठ पढाया होले से..
----------------------------------------------
सोमवार, 14 नवंबर 2011
्रह गुज़र की तलाश में

रफ़्ता रफ़्ता कट गया सफ़र, हमसफ़र की तलाश में...
बैठे है वो अपने ही आशियां, में रहगुज़र की तलाश में..
---------------------------------------------
कदमों की आहट से यूं लगा कि मुराद-ए-मंजिल करीब है.
इन्तज़ार के बाद एहसास हुआ हवा के झोंके ने दस्तक दी थी।
---------------------------------------------------
लगता है जैसे अभी अभी नहाएं हैं ..
किसी पुराने किस्से को गुनगुनाएं हैं।
शनिवार, 5 नवंबर 2011
दिल में उजाला कैसे होगा

किसी के घर की, रोशनी चुरा कर,
अपने दिल में, उजाला कैसे होगा।
मुफ़लिसी में अगर,बच्चे होंगे भूखे,
तो,मां के पेट का निवाला कैसे होगा।
रहम नहीं, इन्सां का इन्सां के लिए,
तो मेहरबां कैसे, उपर वाला होगा।
जो चला, मख़मली कदमों से ताउम्र,
इन पत्थरों में खुद को सम्भला कैसे होगा।
बुलन्द हौंसलों से जो चला, मुश्किल राहों पे,
उस मंजिल पे,जमाने का ताला कैसे होगा।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ (Atom)
