रविवार, 30 अक्टूबर 2011

रूह ने दिल से बात की


रूह ने मुस्कुरा  कर, दिल से बात की.
आंखों ने भी सपनों से,  मुलाकात की.


सदा सुन के जाग उठा, नींद से सवेरा,
महफ़िल ने ग़ज़ल से,  शुरूआत की.


नफ़रतों के जाले साफ़ कर दिए हमने,
हैरां थे सब, कहा ये किसने करामात की.
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