प्रकृति का यह कैसा क्रूर नियम है कि, बड़ी मछली छोटी मछली का पोषण करने की बजाय उसे निगल जाती है। मेरा यह ब्लोग "कविता की महक" बड़ी मछली का शिकार होने वालों को समर्पित है।
शनिवार, 29 अक्टूबर 2011
रंगीन असमां
हमने देखा उस रगींन आसमां के तारों को हमने देखा इस जमीं के हसीन अंगारों को
सपने कभी ना टूटे, इन मासूम आंखों के नमन करते हम, मंदिर,मस्जिद,गुरूद्वारों को.
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