प्रकृति का यह कैसा क्रूर नियम है कि, बड़ी मछली छोटी मछली का पोषण करने की बजाय उसे निगल जाती है। मेरा यह ब्लोग "कविता की महक" बड़ी मछली का शिकार होने वालों को समर्पित है।
शनिवार, 7 दिसंबर 2013
क्या बात है
मुस्कुरा के बात को टालने की अदा. लहरा के कान तक आने वाली सदा. कदमों के साथ पायल का बजना , आसमान से बरसे पानी का मज़ा.
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