मंगलवार, 30 अप्रैल 2013

सूरज निकलने दो

बगिया के फूलों को खिलने दो.
जमीं-आसमां को मिलने दो.

नफ़रतों के कपड़े उतार दीजिए,
प्रेम के फटे कुर्ते को सिलने दो.

माना कि दिलों में अन्धेरा बहुत है,
किसी झोंपड़ी में सूरज निकलने दो.
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मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

इन्तज़ार करना


चाहत का दीपक जला के रखना,
कहा था, मेरा इन्तज़ार करना.

नसीब में हो ना हो, दम भरना
मग़र सांसों को अमर रखना.

वादा "दिया" था तुमने भी,
मेरे आने तलक,  ना मरना.
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