रविवार, 30 अक्टूबर 2011

रूह ने दिल से बात की


रूह ने मुस्कुरा  कर, दिल से बात की.
आंखों ने भी सपनों से,  मुलाकात की.


सदा सुन के जाग उठा, नींद से सवेरा,
महफ़िल ने ग़ज़ल से,  शुरूआत की.


नफ़रतों के जाले साफ़ कर दिए हमने,
हैरां थे सब, कहा ये किसने करामात की.
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शनिवार, 29 अक्टूबर 2011

रंगीन असमां


हमने देखा उस रगींन आसमां के तारों को 
हमने देखा इस जमीं के हसीन अंगारों को


सपने कभी ना टूटे, इन मासूम  आंखों के 
नमन करते हम, मंदिर,मस्जिद,गुरूद्वारों को.

शनिवार, 1 अक्टूबर 2011

तिनके आशियाने के


मंजिल भी आसां हो जाएगी
सफ़र का आग़ाज़ तो कीजिए.


आसमां मुट्ठी में कैद हो जाएगा,
अपने परिन्दों को आवाज़ तो दीजिए.
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मुहब्बत के धागों में, कई रंग होते है.
याद में उनकी हम, दिन में भी सोते हैं.


भरोसा ना हो खुद पर, तो वादा ना करो,
इक वादा टूटने से जाने कितने अरमां रोते हैं.
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दोस्ती रब की इबादत है, 
दोस्ती दिल की अमानत है,


बेवफ़ाई भी,सज़दे में झुकती है ,
इक मुहब्बत फ़कीरी की जमानत है।
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इक सर्द हवा का झोंका था।
उसने जाते हुए मुझे रोका था।

मेरी रूह को छू के निकला
वो ना जाने कैसा धोखा था।
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जिदगी में कई रंग हैं,,मेलों की उमंग है.।
बस दिल में चाहत का दीपक जला लो.
जिन्दगी के हर पन्ने पर कितने साथी संग ।
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तुम कहीं भी रहो, तुम जहां भी रहो।
मेरे दिल में रहो या ख्वाबों में रहो।

मग़र बावफ़ा बन के रहो।
खूबसूरत लम्हे बन के रहो। 

फूल सी खुश्बू बन के रहो।
जब बात आए खुद्दारी की,
तो सीने की तरह तन के रहो।
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दिल ना होता तो शायद वफ़ा और ज़फ़ा ना होते।
प्यार का दस्तूर ना होता जख़्म नासूर ना होते।
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