-----हसीं चेहरे के नसीब में, खुशियां हो ये जरूरी तो नहीं।
लबों पे मुस्कान दिल में, ना हो मलाल जरूरी तो नहीं।
हमनशीं हो ग़र तो रक़ीबो से रसाई कैसी
यूं रक़ीबों से भी , रंजिश हो जरूरी तो नहीं ।
सफ़र में आती है, इक राह पर मन्जिलें कई,
हर साथ चलने वाला, हमसफ़र हो जरूरी तो नहीं।
इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपते, ये सच है,
हर आशिक-ए-जाना हो बदनाम जरुरी तो नहीं।
मना कि अश्कबारी से गुबार दिल का निकल जाता है,
हर अश्क से सुकूं दिल को, मिले जरुरी तो नहीं।
माना ख़तो ख़िताबत का दौर, गुज़र चुका है ऎ दोस्त,
नये दौर का आदाब, अदावत दे ये ज़रुरी तो नहीं।
अनजाने में हुई भूल को, खुदा भी माफ़ करता है,
हर ग़लती पर सज़ा ना मिले, ये जरुरी तो नहीं।
ख्वाब देखो मग़र, हकीकत के आसपास ही रहो,
हर ख्वाब उम्मीदों पर ख़रा उतरे ये जरुरी तो नहीं।
इस जिन्दगी में, धोखे कदम कदम पर हैं मग़र,
हर आस्तीन में छुपा, सांप हो ये जरुरी तो नहीं।
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