प्रकृति का यह कैसा क्रूर नियम है कि, बड़ी मछली छोटी मछली का पोषण करने की बजाय उसे निगल जाती है। मेरा यह ब्लोग "कविता की महक" बड़ी मछली का शिकार होने वालों को समर्पित है।
जिन्दगी यूं बेमेल सी है कठपुत्ली का खेल सी है सफ़र कट रहा तन्हा सा रुक जाए तो जेल सी है चल रहा मुसाफ़िर सा कभी पटरी पे रेल सी है ************************